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जनवरी, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

लागत लेखांकन के सिद्धांत(Principales of cost Accounting)

 लागत लेखांकन के मुख्य सिद्धांत निम्नलिखित हैं 1. लागत किए जाने के बाद ही दिखाया जाता है,  जब तक लागत खर्च नहीं किया गया हो इसे लागत नहीं माना जाता है तथा लागत केंद्र में चार्ज नहीं किया जा सकता उदाहरण के लिए सामान्य  क्षति एवं क्षय संबंधित इकाई द्वारा तभी वहन किया जाएगा जब हानी उत्पन्न हो जाएगी हनी उत्पन्न होने की संभावना के आधार पर इससे संबंधित इकाई पर चार्ज नहीं किया जा सकता है 2. दोहरा लेखा प्रणाली पर आधारित है,  लागत वही एवं अन्य लागत नियंत्रण खाते भी दोहरे लेखा प्रणाली पर आधारित है 3. लागत हमेशा इसके कारण से संबंधित होती है,  सामान्यता: कारन से संबंधित होती है लागत आंकड़े का संग्रह एवं विश्लेषण उनकी प्रकृति के आधार पर किया जाता है तथा इनका अभि भाजन कारन संबंध के आधार पर किया जाता है 4. असामान्य लागते लागत खाते में नहीं दिखाई जाती है,  आग द्वारा क्षति, चोरी द्वारा क्षति, की लागत असामान्य लागत कहते हैं इन लगातो को उत्पादन लागत में शामिल नहीं किया जाता है क्योंकि इनका संबंध उत्पादन से बिल्कुल नहीं होता है इसी प्रकार आने वित्तीय प्रकृति के ...

लागत लेखांकन की आवश्यकता (Need for Cost Accounting)

  लागत लेखांकन की आवश्यकता : -           सामान्य तौर पर प्रत्येक व्यापारी अपने समस्त लेन देनो एवं व्यवहारों का लेखा करने के लिए वित्तीय लेखांकन पद्धति का अनुकरण करता है इसके अंतर्गत वर्ष के अंत में समस्त लेनदेन का संक्षिप्त विवरण तैयार किया जाता है और लाभ हानि एवं आर्थिक चिट्ठा की जानकारी प्राप्त करता है किंतु वित्तीय लेखांकन से व्यवसाय से संबंधित सभी सूचनाएं प्राप्त नहीं हो पाती है वित्तीय लेखांकन से कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों की जानकारी नहीं हो पाती है जैसे ---- उत्पादन की लागत क्या है, लागत पर कैसे नियंत्रण किया जाए तथा उत्तरदायित्व बिंदु कहां है, वित्तीय लेखांकन की इन कमियों का ही परिणाम है लागत लेखांकन की आवश्यकता है महसूस किया जाना लागत लेखांकन की आवश्यकता के मुख्य कारण निम्नलिखित है 1. सामग्री नियंत्रण,  वित्तीय लेखांकन के अंतर्गत सामग्री के क्रय एवं विभिन्न विभागों में उनके निर्गमन का लेखा किया जाता है किंतु सामग्री के छीना चोरी एवं अपव्यय का कोई लेखा नहीं किया जाता है फलस्वरूप सामग्री लागत में वृद्धि व्यवसाय को हानी की ओर खींच ले जाती है वित्तीय ले...

गाय एवं भैंस में तथा उनके दूध में अंतर

 * भैंस,            भैंस अपने बच्चे से करवट होकर बैठती है,           चाहे उनके बच्चे को कुत्ता खा जाए, या शेर खा जाए,           वह नहीं बचाएगी,   *  गाय,             जबकि गाय अपने पास से कुत्ता तो क्या,             शेर भी आ जाए तो जान दे देगी             परंतु जीते जी अपने बच्चे पर आंच आने नहीं देंगी,             इसलिए गाय के दूध में से स्नेह का गुण भरपूर होता है * भैंस,             भैंस को नाली की गंदगी पसंद है,             एकदम कीचड़ में लथपथ रहेगी, * गाय,             गाय अपने गोबर पर बैठती भी नहीं है,             चाहे जितनी दिन भी उनके पास से गोबर हटाया ना              जाए,             गा...

लागत लेखांकन के लाभ/ महत्व (Advantages/Importance of cost Accounting)

  लागत लेखांकन के लाभ/महत्व वर्तमान औद्योगिक युग में जबकि औद्योगिक तकनीकी जटिल होती जा रही है लागत लेखांकन का महत्व निरंतर बढ़ता जा रहा है विभिन्न उत्पाद को के बीच बालाघाट प्रतियोगिता पाई जाती है एक उत्पादक दूसरे से आगे बढ़ने के लिए प्रयास करते रहते हैं ऐसी स्थिति में लागत लेखांकन के अभाव में किसी भी उत्पादक के लिए बाजार में टिक पाना असंभव प्रतीत होता है इसके अब हम उत्पादक को भारी हानि उठानी पड़ सकती है इस प्रकार लागत लेखांकन उत्पादकों के लिए महत्वपूर्ण तो है आने पक्षों, जैसे : - कर्मचारियों, नियोक्ताओं, उपभोक्ताओं तथा राष्ट्र एवं समाज के लिए कम महत्वपूर्ण नहीं है विभिन्न पक्षों के लिए लागत लेखांकन के महत्व का स्पष्टीकरण नीचे बताया जा रहा है {A} उत्पादको को लाभ (Advantages om the producers) 1. सामग्री पर नियंत्रण,  लागत लेखांकन विभाग द्वारा सामग्री का भंडारण एवं निर्गमन पर नियंत्रण रखा जाता है जिससे सामग्री की चोरी छिनन एवं अन्य प्रकार की बर्बादी आदि न्यूनतम हो जाती है इसका परिणाम यह होता है कि प्रति इकाई सामग्री की लागत न्यूनतम होती है जिससे वस्तु की निर्माण लागत में भी कमी...

लागत ज्ञात करने की प्र विधियां (Techniques of Finding out costs)

  लागत ज्ञात करने की प्रविधियां निम्नलिखित है 1. प्रमाणिक लागत विधि 2. प्रत्यक्ष लागत निर्धारण विधि 3. अशोषण लागत विधि 4. एकरूपता लागत निर्धारण विधि 5. पश्चात लागत विधि 6. निरंतर लागत विधि 1. प्रमाणिक लागत विधि, इस विधि के अंतर्गत उत्पादन कार्य आरंभ करने से पूर्व यह अनुमान लगा लिया जाता है कि कार्य की लागत क्या आनी चाहिए जब वास्तविक कार्य का संपादन हो जाता है तो इसकी लागत की तुलना प्रमाणित लागत से की जाती है तथा उन कारणों को ढूंढने का प्रयास किया जाता है जिसके कारण लागतो में अंतर आ रहा है भविष्य में उन कारणों को दूर कर दोनों लागत में समानता लाने का प्रयास किया जाता है इससे व्यवसायिक कार्यक्षमता में वृद्धि होती है 2. प्रत्यक्ष लागत निर्धारण विधि, समस्त प्रत्यक्ष लागतो को उत्पादन लागत में शामिल करना तथा समस्त अप्रत्यक्ष लागतो को उन्होंने के लाभ हानि खाता में दिखाया जाना प्रत्यक्ष लागत निर्धारण कहा जाता है यह प्रविधि भी सीमांत जैसी ही है प्रत्यक्ष लागत का अर्थ परिवर्तनशील लागत से है अंतर केवल इतना ही है कि विशेष परिस्थितियों में यहां परिवर्तनशील लागत को भी प्रत्यक्ष लागत माना जा सकता ...

लागत लेखांकन की पद्धतियां (Metheods of Cost Accounting)

  लागत लेखांकन की पद्धतियां : - व्यवसाय एवं उद्योग के विभिन्न प्रकार के होते हैं और उनका लेखा-जोखा भी उनकी प्रकृति के अनुसार अलग-अलग ढंग से रखा जाता है परंतु सभी में लेखांकन सिद्धांत एक ही प्रयुक्त होते हैं किंतु व्यवसाय की प्रकृति उसका आकार इसकी आवश्यकता तथा उसके विशिष्ट स्थिति आदि के कारण लागत लेखांकन पद्धतियो में विभिनता पाई जाती है यहां स्मरणीय बात यह है कि पद्धतिया की विभिनता का आशय सिद्धांतों की विभिन्नता है विभिन्न व्यवस्थाओं में काम आने वाली विभिन्न लागत पद्धतियां निम्नलिखित है 1. इकाई अथवा उत्पादन लागत पद्धति,  यह पद्धति उन निर्माण उद्योगों में प्रयुक्त होती है जहां एक ही प्रकार की वस्तु का निरंतर उत्पादन होता रहता है तथा निर्मित वस्तु की सभी इकाइयों एक समान होती है और उत्पादन बड़े पैमाने पर होते हैं जैसे : - सीमेंट उद्योग, कोयला उद्योग, एक उत्पादन, आटा उद्योग, कागज उद्योग, शराब भाटिया आदि इनमें प्रति इकाई लागत प्रति टन, प्रति मीटर, प्रति क्विंटल, प्रति हजार ज्ञात की जाती है 2. उप कार्य लेखा पद्धती,    हमें एक ग्राहक से प्राप्त आदेश के अनुसार कोई कार्य पूर्ण...

लागत लेखांकन का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Cost Accountion)

लागत लेखांकन का अर्थ : - अर्थ {Meaning} - जैसा कि इसके नाम से स्पष्ट होता है कि या किसी वस्तु की सेवा लागत ज्ञात करने की एक वैज्ञानिक प्रणाली है जिसके आधार पर उस वस्तु या सेवा की लागत का अधिकतम शुद्ध अनुमान लगाया जा सके इसके अंतर्गत उत्पादित वस्तुओं या सेवा पर होने वाले व्ययो व उनसे प्राप्त लाभों का लेखा किया जाता है तथा और आधार ज्ञात किया जाता है जिस पर विभिन्न व्ययाे की गणना की गई है व उनका उप विभाजन किया गया है एवं उस वस्तु या सेवा की प्रति इकाई लागत एवं कुल लागत भी ज्ञात की जाती है इसके अंतर्गत लागत पर नियंत्रण भी किया जाता है इस प्रकार लागत लेखांकन वह प्रणाली है जिसके अंतर्गत निर्मित वस्तु या सेवा की लागत ज्ञात की जाती है या उस पर नियंत्रण रखा जाता है यहां यह स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि लागत लेखांकन परी व्ययांकान से भिन्न है  परिव्ययांकन  एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा लागत का निर्धारण किया जाता है इसके अंतर्गत उन सिद्धांतों एवं नियमों का अध्ययन किया जाता है जिसके द्वारा वस्तु या सेवा की लागत की सही गणना संभव होती है,  इस प्रकार लागत लेखांकन एक व्यापक शब्द है जिसमें ...

प्रबंधकीय लेखाविधि नियम एवं सिद्धांत

    प्रबंधकीय लेखाविधि की नियम : - समय-समय पर परिवर्तन के परिणामस्वरूप उत्पन्न समस्याओं के निराकरण हेतु जो कृतियां प्रयोग में लाई जाती है, उन्हें प्रस्थाये करते हैं! फनी विषयों की तरफ प्रबंधकीय लेखाविधि के खास नियम या सिद्धांत नहीं है, इसके अंतर्गत समयानुसार विकसित कुछ परंपराएं हैं जो प्रबंध की मदद करती है यह नियम या प्रस्थाये निम्नलिखित है, 1. उत्तरदायित्व की प्रथा, इस प्रथा के अनुसार संगठन के प्रत्येक स्तर में ऐसे व्यक्तियों की नियुक्ति की जानी चाहिए जो संबंधित कार्य के दायित्व को भलीभांति समझ सक सिद्धांत का मुख्य उद्देश्य है कि व्यक्ति कोजहां कुछ कार्यों को करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए तो वहीं कुछ कार्यों को ना करने के लिए प्रेरित किया जाए परंतु इस प्रथा के अंतर्गत उत्तरदायी व्यक्ति को ढूंढा जा सके इस प्रथा के अंतर्गत केवल यही नहीं पता चलता है कि संस्था में क्या हो रहा है बल्कि यह भी पता चलना चाहिए कि उसके लिए कौन व्यक्ति उत्तरदायी है! 2. एकीकरण की परंपरा, इस परंपरा के अनुसार समस्त प्रबंध लेखांकन सूचनाओं का एकीकरण किया जाता है ऐसा करने से उपलब्ध तथ्यों का भरपूर लाभ उठ...

कोष प्रवाह विवरण का अर्थ एवं परिभाषा

            कोष प्रवाह विवरण का अर्थ : - वित्तीय स्थिति में परिवर्तन का विवरण एक ऐसा विवरण है जिसका उद्देश्य एक निश्चित अवधि के लिए किसी संस्था की वित्तीय स्थिति का वर्णन करना होता है यह उन संतों की पहचान करता है जहां से कोष उत्पन्न हुए हैं यह विवरण वित्तीय सूचनार्थ माध्यम के रूप में नीति निर्धारण हेतु आधार प्रसूत करता है! वित्तीय स्थिति में परिवर्तन के विवरण को कोष प्रवाह विवरण कहा, कहां से आया, कहां गया था, प्रबंध कोर्स विवरण आदि के नाम से भी जाना जाता है हालांकि इस पुस्तक में यह कोष प्रवाह विवरण के नाम से जाना गया है! व्यवसाय की प्रकृति सदैव गतिमान रहता है इसमें व्यवहारों का कर्म निरंतर जारी रहता है तथा यह निरंतर चलने वाली प्रक्रिया की व्यवसाय को गति प्रदान करती है व्यवसाय के विभिन्न लेनदेन और व्यवहारों का लेखा पुस्तकों में किया जाता है जिनकी सहायता से एक लेखा अवधि के अंत में अंतिम खाते यथा लाभ हानि विवरण तथा आर्थिक चिट्ठा तैयार किया जाता है आर्थिक चिट्ठा एक निश्चित तिथि को व्यवसाय की वित्तीय स्थिति को प्रदर्शित करता है तथा लाभ हानि विवरण व्यवसाय के ला...

वित्तीय विश्लेषण का अर्थ तथा उद्देश्य एवं क्षेत्र

  वित्तीय विश्लेषण का अर्थ : - वित्तीय विवरण के विश्लेषण का आशय व्यवसाय की वित्तीय स्थिति के अध्ययन से है लाभ हानि आर्थिक चिट्ठा एवं संचालको व अंकेक्षक की रिपोर्ट के आधार पर यह तय करना कि कंपनी की वित्तीय स्थिति कैसी है भविष्य में प्रगति की संभावनाएं कैसी है उपर्युक्त प्रश्नों के जवाब जानने के लिए वित्तीय विवरणों के विभिन्न मदों का गहन अध्ययन अनुपातों अथवा अनुचित प्रणाली के द्वारा किया जाना ही वित्तीय विश्लेषण कहा जाता है विश्लेषण के लिए यह आवश्यक है कि वित्तीय विवरणों में दी गई मदो को उचित शीर्षक व उपशीर्षक में विभाजित कर लिया जाए जैसे : - संपत्तियों को स्थाई या अस्थाई शीर्षको में बदलना दायित्व को अस्थाई एवं चालू शीर्षको को में बदलना व्ययों को संचालन एवं  संचालन में बदलना इत्यादि इन्हीं विश्लेषण के आधार पर कंपनी की उन्नति के संबंध में सही निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं इन्हीं के आधार पर भविष्य की योजनाएं बनाई जाती है               वित्तीय विश्लेषण का उद्देश्य : - वित्तीय विश्लेषण तथा संस्था की वित्तीय स्थिति एवं लाभदायक ताकि जानकारी करने में स...

प्रबंधकिय लेखाविधि का उद्देश्य

  प्रबंधकीय लेखा विधि का निम्नलिखित उद्देश्य है प्रबंधकिय लेखाविधि का उद्देश्य प्रबंध किए कार्यों का निष्पादन दक्षता पूर्वक करने हेतु आवश्यक सूचना प्रदान करना है प्रबंध किय लेखा विधि प्रबंध को पूर्वानुमान नियोजन संगठन निर्देशन समन्वय तथा नियंत्रण में सहायता प्रदान करती है इसके प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं 1. नियोजन व नीति निर्धारण में सहायक, पूर्व निर्धारण उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु क्या करना चाहिए इसे निश्चित करना नियोजन का लाता है दूसरे शब्दों में भविष्य के संदर्भ में पूर्व से ही सोचने की प्रक्रिया को नियोजन कहते हैं पूर्व निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु प्रबंध की योजना बनानी पड़ती है इस कार्य में प्रबंधकिय लेखा विधि से काफी मदद मिलती है उत्पादन क्रय विक्रय पूंजी विनियोग रोकड़ तथा आवश्यक तथ्यों के पूर्वानुमान के लिए योजना बनाने हेतु आवश्यक सूचना को प्रदान करना होता है यह सूचनाएं व्यवसाय के प्रबंध को प्रदान की जाती है 2. प्रबंध को सूचना देना, यहां सूचना का तात्पर्य संस्था के अंतर्गत कार्यरत कर्मचारियों तथा संस्था एवं बाहरी व्यक्तियों के बीच निर्देशों एवं सूचनाओं के आदान...

प्रबंधकीय लेखाविधि की प्रकृति या विशेषताएं एवं क्षेत्र

प्रबंधकीय लेखांकन की प्रकृति एवं विशेषताएं   प्रबंध लेखांकन अनेक वित्तीय व गैर वित्तीय समंको प्रणालियों एवं पद्धतियों से युक्त एक समन्वित पद्धति है अर्थशास्त्र सांख्यिकी अंकेक्षक व्यवसाय  मनोवैज्ञानिक आदि अनेक विषयों का व्यवहारिक प्रयोग इसके अंतर्गत किया जाता है इसके अलावा लागत लेखांकन बजट नियंत्रण पद्धति विश्लेषण आदि तकनीकी का प्रयोग एवं अंतर संबंध प्रबंध लेखांकन की रूपरेखा का निर्माण करता है         व्यवसायिक सूचनाएं अलग-अलग उद्देश्यों से एकत्रित की जाती है तथा बाद में इन्हें धीरे-धीरे विभिन्न प्रतिवेदनो मैं संपादित किया जाता है इस प्रतिवेदनो में मुख्य है  वित्तीय लेखे तथा सांख्यिकी प्रतिवेदन किंतु इन प्रतिवेदनो में भूतकालीन तथ्य ही प्रदर्शित किए जाते हैं लेकिन प्रबंध लेखांकन का उद्देश्य मात्र भूत कालीन तथ्यों का संग्रह करना ही नहीं होता है क्योंकि भूत कालीन तथ्यों में मात्र यह जानकारी होती है कि क्या घटित हुआ  कार्यकुशलता का वांछित अस्तर क्या होनी चाहिए था आदि तथ्यों पर प्रकाश नहीं डालते अतः अपेक्षित परिणामों को प्राप्त करने के लिए कुशलता का प्...

प्रबंधकीय लेखांकन का अर्थ और परिभाषा (MEANING AND DEFINITION OF MANAGEMENT ACCOUNT)

प्रबंधकीय लेखांकन :- प्रबंधकीय लेखांकन दो शब्दों से मिलकर बना है प्रबंध + लेखांकन से मिलकर बना है प्रबंध की परिभाषा के संबंध में विभिन्न विद्वानों के बीच अलग-अलग मतभेद है प्रबंध एक व्यापक शब्द है जो आधुनिक व्यवस्था एवं औद्योगिक जगत में कई अर्थों में उपयुक्त होता है कुछ व्यक्ति संकीर्ण अर्थ लगाते हैं तो कुछ व्यापक संकीर्ण अर्थ में प्रबंध दूसरे व्यक्तियों से कार्य कराने कराने की कला है इसके अनुसार वह व्यक्ति जो दूसरी से कार्य कराता है प्रबंधक कहलाता है विस्तृत अर्थ में प्रबंध एक कला एवं विज्ञान है जो निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए विभिन्न मानवीय प्रयासों से संबंध रखता है दूसरी ओर लेखांकन का तात्पर्य यह है कि वह लिपिबद्ध करना होता है इस प्रकार प्रबंध लेखांकन से तात्पर्य ऐसी लेखा पद्धति से है जो प्रबंध किए कार्य कुशलता में वृद्धि कर सके अतः प्रबंधकिय कार्यकुशलता में वृद्धि करने के लिए लेखांकन का प्रयोग प्रबंध यंत्र के रूप में किया जाता है उसे प्रबंध लेखांकन कहते हैं यह बात सत्य है की प्रबंधकीय लेखांकन में प्रयुक्त समंक वित्तीय लेखांकन से ही संकलित किए जाते हैं किंतु उनके विश्ल...

ऐतिहासिक शोध विधियां

प्रश्न : - ऐतिहासिक शोध विधियां तथा इसके महत्व को लिखे उत्तर :- ऐतिहासिक शोध विधियां निम्नलिखित है * ऐतिहासिक शोध विधि में भविष्य को समझने के लिए भूतकाल से संबंधित समस्याओं का विश्लेषण किया जाता है * ऐतिहासिक शोध का संबंध ऐतिहासिक समस्याओं के वैज्ञानिक विश्लेषण से है इसके विभिन्न चरण भूतकाल के संबंध में एक नई चुनौती पैदा करते हैं जिसका संबंध वर्तमान और भविष्य होता है * साधारण शब्दों में कह सकते हैं कि ऐतिहासिक शोध अतीत की घटनाओं विकास कर्मों का वैज्ञानिक अध्ययन है इसके अंतर्गत उन बातों या नियमों की खोज की जाती है जिन्होंने वर्तमान में एक विशेष रूप प्रदान किया हो * इनके द्वारा अतीत की सूचनाओं एवं सूचना संपर्कों के संबंध में परमाणु की वैधता का सावधानीपूर्वक निरीक्षण किया जाता है और निरीक्षण किए गए परमाणु की सावधानी पूर्वक व्याख्या की जाती है * ऐतिहासिक शोध का निम्नलिखित महत्व है किसी शोध समस्या का अध्ययन अतीत की घटनाओं के आधार पर करना जिससे यह पता चल सके कि समस्या का विकास किस प्रकार और क्यों हुआ उसे ऐतिहासिक शोध कहते हैं * वर्तमान का अतीत के आधार पर ज्ञात किया जाता है ऐतिहासिक शोध के आध...

HPPY NEW YEAR 2022

      Happy New year               2022 पूरे ब्लॉगिंग परिवार की ओर से