प्रबंधकिय लेखाविधि का उद्देश्य

  प्रबंधकीय लेखा विधि का निम्नलिखित उद्देश्य है

प्रबंधकिय लेखाविधि का उद्देश्य प्रबंध किए कार्यों का निष्पादन दक्षता पूर्वक करने हेतु आवश्यक सूचना प्रदान करना है प्रबंध किय लेखा विधि प्रबंध को पूर्वानुमान नियोजन संगठन निर्देशन समन्वय तथा नियंत्रण में सहायता प्रदान करती है इसके प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं

1. नियोजन व नीति निर्धारण में सहायक, पूर्व निर्धारण उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु क्या करना चाहिए इसे निश्चित करना नियोजन का लाता है दूसरे शब्दों में भविष्य के संदर्भ में पूर्व से ही सोचने की प्रक्रिया को नियोजन कहते हैं पूर्व निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु प्रबंध की योजना बनानी पड़ती है इस कार्य में प्रबंधकिय लेखा विधि से काफी मदद मिलती है उत्पादन क्रय विक्रय पूंजी विनियोग रोकड़ तथा आवश्यक तथ्यों के पूर्वानुमान के लिए योजना बनाने हेतु आवश्यक सूचना को प्रदान करना होता है यह सूचनाएं व्यवसाय के प्रबंध को प्रदान की जाती है

2. प्रबंध को सूचना देना, यहां सूचना का तात्पर्य संस्था के अंतर्गत कार्यरत कर्मचारियों तथा संस्था एवं बाहरी व्यक्तियों के बीच निर्देशों एवं सूचनाओं के आदान प्रदान करने से है प्रबंध किय लेखा विधि का प्रारंभिक उद्देश्य प्रबंध को ताजे सूचनाओं से अवगत कराना है समय-समय पर व्यवसाय की स्थिति के संबंध में प्रबंध को सूचित करते रहना प्रबंधकिय लेखा विधि का एक महत्वपूर्ण कार्य है उच्च स्तरीय प्रबंध को विभिन्न विभागों के कार्य निष्पादन के संबंध कि सतत सूचना प्रदान करना भी प्रबंधकिय लेखा विधि का उद्देश्य होता है यदि सूचना संप्रेषण का कार्य सही ढंग से नहीं हो तो व्यवसाय की समस्त क्रियाएं

जैसे-  संगठन समन्वय नियंत्रण नियोजन नीति निर्धारण आदि कभी भी समय पर नहीं हो सकती संस्था के कर्मचारियों को संस्था की प्रगति के संबंध में सूचित करने के लिए प्रकृति चित्र संक्षिप्त लिखे तथा विवरण तैयार किए जा सकते हैं

3. कानूनी आवश्यकताओं को पूर्ण करने में सहायता प्रदान करना, वर्तमान व्यवसाय पर सरकारी नियंत्रण एवं कानूनी आवश्यकताएं इतनी अधिक हो गई है कि व्यवसाय के लिए कानूनी अनिवार्यताओं की पूर्ति करना आवश्यक हो गया है प्रबंधकीय लेखाविधि में लेखों प्रति वेदनो आदि के प्रारूप इस प्रकार तैयार किए जाते हैं ताकि किसी भी समय कानूनी आवश्यकता को पूर्ण किया जा सके

4. निर्णय में सहायक, उच्च स्तरीय प्रबंध का एक महत्वपूर्ण कार्य संस्था से संबंधित निर्णय लेना है निर्णय लेने से तात्पर्य विभिन्न विकल्पों में से सर्वश्रेष्ठ विकल्प का चुनाव करने से है किसी भी संस्था के प्रबंध की विभिन्न मामलों पर निर्णय लेना होता है यह मामले हैं पूंजी व्यय स्वयं उत्पादन अथवा क्रय किया जाना मूल्य निर्धारण विक्रय नीति आदि इन समस्त समस्याओं के संबंध में श्रेष्ठतम निर्णय हेतु प्रबंध के समक्ष वैकल्पिक योजनाओं की तुलनात्मक स्थिति रखना प्रबंध लेखापाल का कार्य है इसके लिए पूंजी बजट सीमांत परीव्यय सम विच्छेद विश्लेषण लाभ मात्रा विश्लेषण परियोजना मूल्यांकन आदि तकनीको का प्रयोग किया जाता है प्रबंधकिय लेखा विधि का उद्देश्य प्रबंध को विभिन्न व्यावसायिक मामलों पर निर्णय लेने में सहायता करता है

उदाहरण, श्रमिकों की जगह पर नई तकनीक की मशीनों को लाने का मामला हो सकता है इसके लिए प्रबंध लेखापाल विभिन्न विकल्पों को रिपोर्ट तैयार करता है जिसके आधार पर प्रबंध सही निर्णय लेने में सक्षम हो पाता है

5. कर प्रशासन में सहायता, इन दीनों व्यवसाय पर सरकारी नियंत्रण की मात्रा बढ़ती जा रही है आज व्यवसाय पर कर की समस्या भी एक महत्वपूर्ण समस्या है इसके संबंध में प्रबंधकीय  लेखा विधि हर प्रकार की कानूनी आवश्यकताओं की पूरा करने में प्रबंध की सहायता करती है

6. वित्तीय सूचनाओं के निर्वचन में सहायक, प्रबंधकीय लेखांकन का उद्देश्य विभिन्न वित्तीय विवरणों एवं आने वित्तीय सूचनाओं को प्रबंध के समक्ष सरल एवं बोधगम्य रूप में प्रस्तुत करना होता है परंतु लेखांकन एक तकनीकी विषय है प्रबंध के लिए यह आवश्यक नहीं की वाह लेखांकन तकनीकी प्रत्यक्ष सूक्ष्मता को समझें अतः प्रबंध लेखापाल लेखाकर्म सूचना को तकनीकों का प्रयोग से विश्लेषण कर प्रबंध के समक्ष सरल और बोधगम्य भाषा में प्रस्तुत करता है इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए प्रबंध लेखापाल विभिन्न तुलनात्मक विवरण तैयार करता है

7. समन्वय का उद्देश्य, किसी भी संस्था का प्रबंधक विभिन्न क्रियाओं के बीच समन्वय तथा तालमेल स्थापित करने का प्रयास करता है ताकि संबंधित विभाग अधिक कुशलता के साथ संचालित किए जा सके प्रबंधकीय लेखा विधि प्रबंध के समक्ष उन औजारों को प्रस्तुत करती है जिनकी सहायता से संस्था के विभिन्न विभागों के कार्यकलापों में समन्वय स्थापित किया जाना संभव हो पाता है इस समन्वय का कार्य क्रियात्मक बजट की सहायता से किया जाता है प्रबंध लेखापाल समन्वय के संबंध में मध्यस्थ की भूमिका निभाता है

8. संगठन में सहायता, संगठन का तात्पर्य संस्था के विभिन्न कर्मचारियों को संगठित करने से है जब तक सभी कर्मचारियों संगठित होकर कार्य नहीं करेंगे संस्था का सही विकास कदापि संभव नहीं है कर्मचारियों को संगठित होते हैं अथवा करने में प्रबंधकिय लेखा विधि महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है कर्मचारियों को एकजुट करने एवं कार्य से रुचि जगाने के लिए उनके बीच भरपूर सिद्धांतों को भी लागू किया जाता है प्रत्येक प्रबंधक अपनी संस्था में सर्वोत्तम ढंग से संगठित करने का प्रयास करता है उसके लिए विभिन्न व्यक्तियों के बीच दायित्वों का बंटवारा तथा अधिकार अंतरण यह दोनों कार्य संगठन के अंतर्गत सम्मिलित किए जाते हैं प्रबंधकीय लेखा विधि बजट तथा लागत के केंद्रों पर विशेष बल देती है बजट व लागत केंद्रों की सहायता से विभिन्न अधिकारियों तथा कर्मचारियों के बीच दायित्व का बंटवारा किया जा सकता है इसके अलावा विनी योजित पूंजी पर प्रत्यय की दर ज्ञात करके बजट व लागत केंद्रों की प्रभावशीलता या लाभदायकता की जांच की जाती है

9. कर्मचारियों को अभीप्रेरित करना, प्रबंधकीय लेखाविधि का उद्देश्य कर्मचारियों को कार्य के प्रति अभी प्रेरित करना है इसके लिए प्रभावपूर्ण एवं कुशल नेतृत्व की आवश्यकता होती है तथा प्रभावपूर्ण एवं कुशल नेतृत्व तभी संभव है जब प्रबंध को निरंतर विभिन्न गतिविधियों की सही सही सूचना मिलती रहे इसके लिए प्रबंध लेखापाल प्रबंध के समक्ष प्रेरणा योजनाओं एवं अन्य महत्वपूर्ण सुझाव को रखता है यह सूचनाओं के सृजन व प्रस्तुतीकरण से प्रबंधक को ज्ञान में वृद्धि करने का वातावरण तैयार करता है इस प्रकार के अभी प्रेरित होकर अपने कार्यों को सर्वोत्तम ढंग से करने का भरपूर प्रयास करेंगे

10. निष्पादनो के नियंत्रण में सहायक, नियंत्रण का तात्पर्य पूर्व निर्धारित तथा वाकिफ लक्ष्यों में एकरूपता है या नहीं इस ख्याल से वास्तविक परिणामों की सतत जांच करते रहना तथा दोनों परिणामों में अंतर होने पर सुधारात्मक कार्य करने से हैं प्रबंध कार्यों में नियंत्रण का सर्वोपरि स्थान है समुचित नियंत्रण के अभाव में वांछित लक्ष्यों को कदापि प्राप्त नहीं किया जा सकता है संस्था के विभिन्न गतिविधियों पर नियंत्रण रखने के लिए प्रबंधकिय लेखाविधि में अनेक युक्तियों का प्रयोग किया जाता है

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