लागत लेखांकन की आवश्यकता (Need for Cost Accounting)

 लागत लेखांकन की आवश्यकता : -

          सामान्य तौर पर प्रत्येक व्यापारी अपने समस्त लेन देनो एवं व्यवहारों का लेखा करने के लिए वित्तीय लेखांकन पद्धति का अनुकरण करता है इसके अंतर्गत वर्ष के अंत में समस्त लेनदेन का संक्षिप्त विवरण तैयार किया जाता है और लाभ हानि एवं आर्थिक चिट्ठा की जानकारी प्राप्त करता है किंतु वित्तीय लेखांकन से व्यवसाय से संबंधित सभी सूचनाएं प्राप्त नहीं हो पाती है वित्तीय लेखांकन से कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों की जानकारी नहीं हो पाती है

जैसे ---- उत्पादन की लागत क्या है, लागत पर कैसे नियंत्रण किया जाए तथा उत्तरदायित्व बिंदु कहां है, वित्तीय लेखांकन की इन कमियों का ही परिणाम है लागत लेखांकन की आवश्यकता है महसूस किया जाना लागत लेखांकन की आवश्यकता के मुख्य कारण निम्नलिखित है

1. सामग्री नियंत्रण,

 वित्तीय लेखांकन के अंतर्गत सामग्री के क्रय एवं विभिन्न विभागों में उनके निर्गमन का लेखा किया जाता है किंतु सामग्री के छीना चोरी एवं अपव्यय का कोई लेखा नहीं किया जाता है फलस्वरूप सामग्री लागत में वृद्धि व्यवसाय को हानी की ओर खींच ले जाती है वित्तीय लेखांकन की इस कमी का भी परिणाम लागत लेखांकन की आवश्यकता महसूस किया जाना लागत लेखांकन लागत का सही विवरण प्रस्तुत कर व्यवसाय को हानि से सुरक्षा प्रदान करता है

2. वास्तविक लाभ हानि की जानकारी, 

वित्तीय लेखांकन के अंतर्गत कोई भी व्यापारी एक निश्चित तिथि पर व्यापार एवं लाभ हानि तैयार कर व्यवसाय के सकल लाभ एवं शकल शुभ लाभ की जानकारी प्राप्त करता है किंतु वास्तविकता यह है कि वित्तीय लेखांकन द्वारा प्रदर्शित सकल लाभ एवं शुद्ध लाभ वास्तविकता से दूर होते हैं ऐसे होने का मुख्य कारण यह है कि लाभ एवं हानि की गणना करते समय कुछ ऐसे खर्च व आयोग को दिखाया जाता है जिनका उत्पादन से कोई संबंध नहीं होता है परिणाम स्वरूप वित्तीय लेखांकन द्वारा प्रदर्शित लाभ एवं हानि कम या कभी अधिक होते हैं ऐसी परिस्थिति में कभी-कभी व्यापार बंद करने का भी निर्णय ले लेते हैं क्योंकि उन्हें यह समझ में नहीं आता है कि संस्था में गैर उत्पादक खर्च अधिक दिखाएं गए हैं और जिनके ही परिणाम स्वरूप पानी की स्थिति उत्पन्न हुई है ऐसी परिस्थिति में यदि लागत लेखांकन का प्रयोग किया जाए तो संचालक व्यापार बंद करने के बजाए खर्चों पर नियंत्रण रखने का प्रयास कर सकते हैं इस प्रकार लेखांकन से नहीं केवल वास्तविक लाभ की जानकारी होती है बल्कि गैर उत्पादक विषयों पर नियंत्रण भी रखा जा सकता है

3. उत्पादन लागत के संबंध में जानकारी,

 चुकी वित्तीय लेखांकन के अंतर्गत केवल व्यवसाय से संबंधित आय-व्यय का विवरण रास्ता है इसके अंतर्गत लागत की गणना नहीं की जाती है  व्यय भी विभिन्न प्रकार के होते हैं कुछ व्यय ऐसे होते हैं जिससे लागत प्रभावित रहती है जबकि कुछ खर्च लागत को प्रभावित करते हैं वित्तीय लेखांकन ऐसे खर्चे के बीच अंतर स्पष्ट नहीं करता है यही कारण है कि वित्तीय लेखांकन के द्वारा किसी उत्पादन की वास्तविक लागत की गणना लगभग असंभव है इसके परिणाम स्वरूप कुछ वस्तु के मूल्य निर्धारण में घटनाएं होती है और आने व्यापारियों के साथ प्रतियोगिता करना आहितकारी प्रतीत होती है यह सत्य है कि सही मूल्य निर्धारण के अभाव में इस प्रतिस्पर्धात्मक युग में बाजार में टिकना मुश्किल हो जाता है अतः यह आवश्यक है कि लागत लेखांकन पद्धति अपनाई जाए ताकि उत्पादन सेवा की सही लागत की जानकारी प्राप्त कर मूल्य निर्धारण किया जा सके

4. लाखों में परिवर्तन के कारणों को ढूंढना,

 वित्तीय लेखांकन से लाभ में परिवर्तन की मात्रा की जानकारी दो अवश्य होती है किंतु यह पता नहीं चल पाता है कि नाम में परिवर्तन के क्या कारण रहे हैं इसकी जानकारी लागत लेखांकन से होती है लागत लेखों में जब हम लागत का तुलनात्मक विवरण तैयार करते हैं तो हमें इस बात की जानकारी हो जाती है कि गत वर्ष की तुलना में व्यय में परिवर्तन किन किन कारणों से हुए हैं अर्थात कीन व्यय मैं कमी हुई है या किनमे वृद्धि !

5. मजदूर विवरण की प्राप्ति,

 वित्तीय लेखांकन से मात्र इस बात की जानकारी होती है की मजदूरी मद में कल कितना खर्च हुआ है प्रत्येक विभाग में मजदूरी के मद में क्या खर्च हुआ है की जानकारी वित्तीय लेखांकन से नहीं हो पाती है इसके अलावा यह भी ज्ञात नहीं हो पाता है की कितनी मजदूरी उत्पादक है और कितनी गैर उत्पादक इन सारी बातों की जानकारी लागत लेखांकन से ही संभव है

6. सम विच्छेद बिंदु का निर्धारण, 

सम विच्छेद बिंदु बिंदु है जिस पर संस्था को न लाभ हो ना हनी वित्तीय लेखांकन से अज्ञात नहीं हो पाता है कि किस बिंदु पर संस्था को कितना लाभ होगा या हानि होगी तथा किस बिंदु पर न लाभ होगा और न हानि इस समय बातों की जानकारी लागत लेखांकन से ही संभव है

7. विभागीय कार्य क्षमता की जानकारी, 

वित्तीय लेखांकन से सभी विभागों की कार्य क्षमता की सामूहिक जानकारी ही हो पाती है ऐसा भी हो सकता है कि कोई खास विभाग बहुत ही अच्छी स्थिति में हो जबकि कोई खास विभाग हानि की स्थिति में किंतु वित्तीय लेखांकन से जो सूचना मिलती है वह लाभ हानि के आपसी समायोजन के बाद की होती है इसके अलग-अलग विभाग की कार्य क्षमता की जानकारी नहीं हो पाती है वित्तीय लेखांकन की यह कम लागत लेखांकन के प्रयोग से समाप्त हो जाती है 

8. निविदा मूली के गाना, 

चुकी वित्तीय लेखांकन के अंतर्गत लागत पत्र तैयार नहीं किए जाते हैं जबकि निविदा मूल्य की गणना गत वर्ष की लागत के आधार पर की जाती है वित्तीय लेखांकन के अंतर्गत निविदा मूल्य की गणना असंभव है स्पष्ट निविदा मूली की गणना के लिए लेखांकन का होना अति आवश्यक है

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