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फ़रवरी, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सामग्री के प्रकार (Types of Materials)

  सामग्री के निम्नलिखित प्रकार है 1. कच्चे माल की सामग्री, कच्चे माल की सामग्री के अंतर्गत वे माल आते हैं जिनसे वस्तुओं निर्मित की जाती है कच्चे माल की उचित विधिकरन करके  निर्मित माल के रूप में परिवर्तन किया जाता है उदाहरण, सूती वस्त्र उद्योग के लिए कपास तथा इस्पात उद्योग के लिए कच्चा लोहा आप एक कच्चे माल के अंतर्गत आते हैं कभी-कभी एक उद्योग का जो निर्मित माल होता है वह दूसरे उद्योग के लिए कच्चा माल होता है जैसे और रुई से सूत बनाने वाले उद्योग के लिए शुद्ध निर्मित माल है किंतु यही सूत्र कपड़ा उद्योग के लिए कच्चा माल है              निर्माण की जाने वाली वस्तु को बनाने के लिए जितनी सामग्री की आवश्यकता होती है उन्हें मुख्यतः दो और गो में बांटा जा सकता है A. प्रत्यक्ष सामग्री B. अप्रत्यक्ष सामग्री a. प्रत्यक्ष सामग्री, ऐसी सामग्री जो निर्मित वस्तु का अंग बन जाती है तथा जिन के संबंध में यह ज्ञात किया जा सकता है कि निर्मित वस्तु की प्रत्येक इकाई सामग्री की कितनी मात्रा लगी है प्रत्यक्ष सामग्री कहलाते हैं उदाहरण, कुर्सी के निर्माण में लगने वाली ...

सामग्री नियंत्रण का अर्थ एवं परिभाषा

 सामग्री का अर्थ, व्यापारिक संस्थाओं ने सामग्री से आशय विक्रय के लिए उपलब्ध माल या वस्तु से लिया जाता है जबकि निर्माणी संस्था में सामग्री के अंतर्गत कच्चा माल अर्ध निर्मित माल निर्मित माल सम्मिलित किया जाता है B. सामग्री नियंत्रण का अर्थ, वह उद्योग अथवा व्यवसाय सही ढंग से अपना व्यापार संचालित कर सके जिन्हें सही मात्रा एवं मूल्य पर माल उपलब्ध हो जाए इस प्रकार नियंत्रण शब्द सामग्री पर दो तरह से नियंत्रण करने का संकेत देता है प्रथम, सामग्री की इकाई अथवा भौतिक मात्रा पर नियंत्रण जिसके अंतर्गत उत्तम एवं भंडारण व्यवस्था आती है ताकि सामग्री की चोरी गमन छिन्न आदि से सुरक्षा प्रदान की जा सके द्वितीय, सामग्री के मूल्य पर नियंत्रण ताकि केवल इतनी ही सामग्री स्टॉक में उपलब्ध है जीतने की आवश्यकता है सामग्री की मात्रा इतनी कम भी नहीं होनी चाहिए जिससे उत्पादन कार्य प्रभावित हो जाए और ना ही इतनी अधिक मात्रा हो कि सामग्री उपयोग रहित होकर बेकार हो जाए उस पर विनियोजित पूंजी का इस प्रकार कुशलतम प्रबंध हो ताकि न्यूनतम पूंजी एवं लागत पर अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सके ऐसे करने से सामग्री न्यूनतम मूल्य पर...

सामग्री नियंत्रण के उद्देश्य

 सामग्री नियंत्रण का मुख्य उद्देश्य सामग्री की पर्याप्त उपलब्धता से हैं ताकि उत्पादन के कार्य में सामग्री की कमी महसूस नहीं हो सामग्री नियंत्रण के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित है 1. सामग्री के असामान्य क्षयो व चोरी को रोकने 2. सामग्री से संबंधित अल्पकालीन एवं दीर्घकालीन नियोजन संभव बनाना 3.सही किस्म की पर्याप्त मात्रा में सामग्री की व्यवस्था पर निर्माण कुशलता में वृद्धि करना 4. सामग्री की अचानक कमी की समस्या से संस्था को मुक्ति दिलाना 5. ग्राहकों के क्रय को मितव्यई बनाना 6. सामग्री का लगातार नियंत्रण संभव होना 7 . ग्राहकों की मनपसंद सेवा करना 8. सामग्री के अति स्टॉक की समस्या से मुक्ति 9. प्रबंध को सामग्री के संबंध में निर्णय लेने में झंझट से मुक्ति 10.स्कंध में अत्यधिक विनियोग से बचाना क्योंकि इसमें अनावश्यक सामग्री का स्टॉक नहीं रह पाता है

रामगढ़ : भयंकर सड़क दुर्घटना

  रामगढ़ के पटेल चौक के समीप रांची रोड से आ रहे एक ट्रक ने दर्जनों गाड़ियों को रौंदा जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है कि ट्रक काफी रफ्तार से आ रही थी इसी बीच ट्रक का ब्रेक फेल हो जाने के कारण यह घटना घटी जिसमें दो बलेनो कार और मोटरसाइकिल को चपेट में ले लिया जिसमें घटनास्थल पर 4 लोगों की मौत हो गई जबकि दर्जनों लोग घायल हो गए इस घटना में आसंका जताया जा रहा है कि कि मृतकों की संख्या बढ़ सकती है जिसमें एक बुलेनो कार ट्रक के नीचे दब गया दबे हुए बलेनो कार तथा तथा दुर्घटना में मारे जाने वाले व्यक्तियों का नाम पता अभी तक नहीं जानकारी हुई है आगे जानकारी के अनुसार ट्रक की पलटी होने से उसके इंजन में आग लग गई जिसमें प्रशासन की काफी मस्सकक्त आग को काबू में किया गया

लागत लेखा पद्धति का विकास एवं प्रगति ( Development and progress of cost Account System)

  लागत लेखा पद्धति का विकास एवं प्रगति लागत लेखा प्रणाली बहुत पुरानी प्रणाली नहीं है इस प्रचलन औद्योगिक उन्नति के साथ साथ हुआ है इस शताब्दी में इसमें काफी उन्नति हुई वर्तमान में कोई भी ऐसा उद्योग नहीं है जहां इस पद्धति का प्रयोग नहीं किया जा रहा हो वर्तमान में इसके प्रचलन में वृद्धि के मुख्य कारण निम्नलिखित है 1. मूल्य नियंत्रण,  कोई भी सरकार बढ़ते हुए मूल्य पर नियंत्रण रखना चाहती है जिनके लिए यह जानना मुश्किल  होता है की वस्तु की उत्पादन लागत क्या है इस प्रश्न का जवाब भी सरकार को लागत लेखों से ही प्राप्त होता है अतः सरकार के मूल्य नियंत्रण नीति ने भी लागत लेखों की प्रगति को प्रभावित किया है 2. साधनों का सर्वोत्तम प्रयोग, वर्तमान में भारत जैसे अर्ध विकसित देश यह प्रयास कर रहे हैं कि वे अपने सीमित साधनों का प्रयोग ऐसे सरोतम ढंग से करें कि उन्हें आशातीत सफलता प्राप्त हो सके इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए आवश्यकता इस बात की है कि सीमित साधनों का प्रयोग किस प्रकार किया जाय की न्यूनतम खर्च पर अधिकतम उत्पादन हो सके इस दृष्टि से भी लागत लेखों का महत्व कम नहीं है 3. सरकारी सहायता,...

नागपुरी सिंगर अभिनेता बंटी सिंह का निधन : झारखंड का एक उभरता हुआ सितारा जो अब आसमान में चमकेगा

  झालीबुड एक इंडस्ट्री जो अपनी पहचान के लिए अभी जद्दोजहद कर रही इस इंडस्ट्री को कई सितारों ने अपनी चमक से रोशन किया है नाम गिनने जाएंगे तो ऐसे कई सितारों के नाम सामने आएंगे इन सितारों में एक चमकता सितारा जमीन से आज हमेशा के लिए आसमान की उन सितारों में शामिल हो गया है जो वहां से इस इंडस्ट्री के आगे बढ़ने और फलने फूलने की दुआ करेगा अपनी काबिलियत के दम पर लोगों के दिलों पर राज करने वाला बंटी सिंह अपनी काबिलियत के दम पर लोगों के दिलों में राज करने वाला बंटी सिंह ब्लड प्रेशर की बीमारी से पीड़ित था उन्हें हर दिन मेडिसिन लेनी होती थी 1 फरवरी की शाम उनकी हालत बेहद खराब हो गया और आखिरकार बुधवार को उन्होंने आखिरी सांस ली अपनी काबिलियत और दिमागी ताकत के दम पर अपनी पहचान और छवि बनाने वाले बंटी सिंह की जान ब्रेन स्ट्रोक ने ले ली अपनी पहचान एक शानदार स्टेज शो डांसर के रूप में स्थापित किया था बंटी सिंह ऐसे अभिनेता थे जिन्होंने अपनी पहचान एक स्टेज शो डांसर सिंगिंग के रूप में पहले स्थापित की और एक अभिनेता के रूप में पहचाने जाने लगे इन के गाने आज भी दुनिया के युवाओं बुजुर्गों की जुबांनों पर है और झा...

भारत में लागत लेखांकन (Cost Accounting in India)

 भारत में लागत लेखांकन, भारत में लागत लेखांकन का विकास सन 1944 में हुआ जब " इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ कास्ट एंड वर्क्स अकाउंटेंटस " की स्थापना हुई इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य लागत लेखांकन को नई दिशा प्रदान करता था क्या संस्था छात्रों को लागत लेखांकन के क्षेत्र में विशेष प्रशिक्षण प्रदान करती है                   1947 में भारत आजाद हुआ जिसके परिणाम स्वरूप नई औद्योगिक नीति तैयार की गई एवं विभिन्न क्षेत्रों में नई नई औद्योगिक इकाइयों स्थापित होने लगे धीरे धीरे लागत लेखापाल ओं की आवश्यकता अनुभव की जाने लगे अंततः सन 1959 में भारत में पोस्ट एंड वर्क्स अकाउंटेंट अधिनियम पारित किया गया तथा इस अधिनियम के अंतर्गत "दी इंस्टिट्यूट ऑफ कॉस्ट एंड वर्क्स अकाउंटेंट ऑफ इंडिया " की एक स्वायत्त के रूप में स्थापना की गई इस संस्था का मुख्य कार्यालय कोलकाता में स्थित है                    सन 1965 में भारत सरकार ने कंपनी अधिनियम में संशोधन कार्य व्यवस्था कर दी कि केंद्र सरकार को यह अधिकार होगा कि वह किसी भी कंपनी...