लागत लेखा पद्धति का विकास एवं प्रगति ( Development and progress of cost Account System)

 लागत लेखा पद्धति का विकास एवं प्रगति

लागत लेखा प्रणाली बहुत पुरानी प्रणाली नहीं है इस प्रचलन औद्योगिक उन्नति के साथ साथ हुआ है इस शताब्दी में इसमें काफी उन्नति हुई वर्तमान में कोई भी ऐसा उद्योग नहीं है जहां इस पद्धति का प्रयोग नहीं किया जा रहा हो वर्तमान में इसके प्रचलन में वृद्धि के मुख्य कारण निम्नलिखित है

1. मूल्य नियंत्रण, कोई भी सरकार बढ़ते हुए मूल्य पर नियंत्रण रखना चाहती है जिनके लिए यह जानना मुश्किल  होता है की वस्तु की उत्पादन लागत क्या है इस प्रश्न का जवाब भी सरकार को लागत लेखों से ही प्राप्त होता है अतः सरकार के मूल्य नियंत्रण नीति ने भी लागत लेखों की प्रगति को प्रभावित किया है

2. साधनों का सर्वोत्तम प्रयोग, वर्तमान में भारत जैसे अर्ध विकसित देश यह प्रयास कर रहे हैं कि वे अपने सीमित साधनों का प्रयोग ऐसे सरोतम ढंग से करें कि उन्हें आशातीत सफलता प्राप्त हो सके इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए आवश्यकता इस बात की है कि सीमित साधनों का प्रयोग किस प्रकार किया जाय की न्यूनतम खर्च पर अधिकतम उत्पादन हो सके इस दृष्टि से भी लागत लेखों का महत्व कम नहीं है

3. सरकारी सहायता, सभी उद्योगों को सरकारी सहायता नहीं मिल पाती है केवल उन्हीं उद्योगों को सरकारी सहायता मिलती है जिनका चलाया जाना सरकारी दृष्टिकोण से आवश्यक है इसके लिए उत्पादको को वस्तुओं की सरकारी लागत दिखाने की आवश्यकता होती है जिसकी गणना मात्र लागत लेखों से ही संभव है इसके अभाव में सरकारी सहायता प्राप्त किया जाना असंभव है अतः सरकारी सहायता प्राप्त करने की आवश्यकता है ने भी लागत लेखों को प्रयोग को व्यापक बनाया है

4. औद्योगिक क्रांति, आज लागत लेखा पद्धति का जो स्वरूप हम देखने के लिए मिल रहा है व औद्योगिक क्रांति की ही देन है औद्योगिक क्रांति के बाद प्रत्येक उत्पादक अपना उत्पादक वैज्ञानिक ढंग से करने के लिए बाध्य हो गया है व्यापारिक खटो से वे समस्त सूचनाएं एक उत्पादक को नहीं मिल पाती थी जिन की आवश्यकता प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण में थी अतः लागत लेखक परिचय का दुर भाव हुआ इसकी सहायता से अधिक उत्पादन को विभिन्न प्रकार की सूचनाएं प्राप्त होती है उत्पादन खर्च उत्पादन लागत  उनके आधार पर उद्योगों की प्रगति के लिए नई नई योजनाएं बनाया जाना संभव हो पा रहा है

5. आर्थिक नियोजन, आज प्रत्येक देश यह मानने के लिए बाध्य है कि उनकी तीव्र गति से विकास मात्र आर्थिक नियोजन से ही संभव है आर्थिक नियोजन में भी लागत लेखों का व्यापक स्तर का प्रयोग किया जाता है लागत लेखों का सही अनुमान ही योजना की सफलता की कुंजी होती है अतः आर्थिक नियोजन से भी लागत लेखों के विकास को बल मिला है

6. वैज्ञानिक प्रबंध एवं विवेकीकरन, लागत लेखा की प्रगति में वैज्ञानिक प्रबंध एवं विवेकीकरन का बहुत बड़ा योगदान रहा है वर्तमान में उद्योगों में वैज्ञानिक प्रबंध एवं विवेकीकरण का व्यापक स्तर पर प्रयोग किया जा रहा है ताकि उत्पादन लागत न्यूनतम हो उत्पादन के किस्म अच्छी हो जिसके लिए लागत लिखें अति आवश्यक है

7. उद्योगों में प्रतिस्पर्धा, अपने बाजार क्षेत्र को व्यापक करने के लिए आज प्रत्येक उत्पादक सतत प्रयत्नशील है बाजार क्षेत्र को विस्तृत करने के लिए विक्रय मूल्य में कमी लाना एक महत्वपूर्ण युक्ति है वस्तु की कीमत कम हो इसके लिए आवश्यकता है की प्रति इकाई की लागत कम करने की और जिसके लिए आवश्यकता होती है लेखांकन की उचित प्रणाली अपनाने की इस प्रकार बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति में भी लागत लेखा की प्रगति का स्वागत किया है

8. बड़े पैमाने पर उत्पादन की नीति, वर्तमान में बड़ी मात्रा में उत्पादन की नीति व्यापक स्तर पर अपनाए जा रहे हैं बड़े पैमाने पर उत्पादन की स्थिति में उत्पादकों के लिए यह संभव नहीं है कि बिना लगात लेखा की सभी क्रियाओं पर नियंत्रण कर सकें साथी उत्पादन लागत न्यूनतम की जा सके लागत लेखा समिति की प्रगति में है निसंदेह बड़े पैमाने पर उत्पादन की नीति का गहरा प्रभाव पड़ा है

9. 1929 की मंदी, 1929 की विश्वव्यापी आर्थिक मंदी ने उद्योगों के समक्ष चित्रों की समस्याएं खड़ी कर दी इस आर्थिक मंदी से निपटने में भी लागत लेखों से उत्पाद को काफी मदद मिली इस लेखों का प्रयोग कर उत्पादन लागत को न्यूनतम कर स्पर्धा का सामना करना पड़ा

10. प्रथम विश्व युद्ध, प्रथम विश्व युद्ध के दौरान युद्ध की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उद्योगों में जोरों से काम होने लगा इसका परिणाम यह हुआ कि पुराने उद्योगों की काफी प्रगति हुई और नए नए उद्योग स्थापित किए गए उद्योगों की तीव्र गति से विकास ने उत्पादकों को लागत लेखों को अपनाने के लिए प्रेरित किया

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