भारत में लागत लेखांकन (Cost Accounting in India)

 भारत में लागत लेखांकन,

भारत में लागत लेखांकन का विकास सन 1944 में हुआ जब " इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ कास्ट एंड वर्क्स अकाउंटेंटस " की स्थापना हुई इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य लागत लेखांकन को नई दिशा प्रदान करता था क्या संस्था छात्रों को लागत लेखांकन के क्षेत्र में विशेष प्रशिक्षण प्रदान करती है

                  1947 में भारत आजाद हुआ जिसके परिणाम स्वरूप नई औद्योगिक नीति तैयार की गई एवं विभिन्न क्षेत्रों में नई नई औद्योगिक इकाइयों स्थापित होने लगे धीरे धीरे लागत लेखापाल ओं की आवश्यकता अनुभव की जाने लगे अंततः सन 1959 में भारत में पोस्ट एंड वर्क्स अकाउंटेंट अधिनियम पारित किया गया तथा इस अधिनियम के अंतर्गत "दी इंस्टिट्यूट ऑफ कॉस्ट एंड वर्क्स अकाउंटेंट ऑफ इंडिया " की एक स्वायत्त के रूप में स्थापना की गई इस संस्था का मुख्य कार्यालय कोलकाता में स्थित है

                   सन 1965 में भारत सरकार ने कंपनी अधिनियम में संशोधन कार्य व्यवस्था कर दी कि केंद्र सरकार को यह अधिकार होगा कि वह किसी भी कंपनी में लागत लेखांकन प्रणाली तथा उसके अंकेक्षण को अनिवार्य रूप से लागू कर सकती हैं कंपनी अधिनियम की धारा 209 (1) (d) में यह स्पष्ट किया गया है कि यदि एक कंपनी इस प्रकार की कंपनी है जो उत्पादन संबंधी प्रक्रिया संबंधी निर्माण संबंधी या खनन कार्य में संलग्न है तो उसे ऐसी सूचनाएं जो सामग्री श्रम या लागत के अन्य तत्वों के प्रयोग से संबंधित है केंद्रीय सरकार के चाहने पर अपनी लेखांकन पुस्तकों में शामिल करनी पड़ेगी

          उपरोक्त व्यवस्था को कार्य करने के उद्देश्य केंद्रीय सरकार द्वारा अनेक उद्योग को लागत लेखांकन की अनिवार्यता की श्रेणी में लाया गया है इस उद्योगों में लागत लेखांकन की पृथक प्रणाली तथा उनका अंकेक्षण अनिवार्य कर दिया गया है स्पष्ट वर्तमान समय में लागत लेखांकन विभिन्न उद्योगों की महत्वपूर्ण लेखांकन प्रणाली है जो लागत के विश्लेषण नियंत्रण एवं निर्वाचन के लिए एक आवश्यकता है

              भारत के निम्नलिखित उद्योगों में लागत लेखा रखना अनिवार्य है

A. सीमेंट उद्योग

B. सूती वस्त्र उद्योग

C. कागज उद्योग

D. साइकिल फैक्ट्री उद्योग

E. चीनी उद्योग आदि


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